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मानव किस प्रकार पर्यावरण को प्रभावित करता है?

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी पार्ट थर्ड के छात्रों के लिए पेपर 8 के महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न :- मानव किस प्रकार पर्यावरण को प्रभावित करता है?
उत्तर:- पर्यावरण मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका जीवन पर्यावरण की शुद्धता पर निर्भर करता है। पर्यावरण का ह्रास  मानव के सामने अनेक समस्याओं को उत्पन्न कर देता है जिसके कारण उसे अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अनक प्रकार की बीमारियां जन्म लेती है। जिस कारण उसकी जीवन अवधि कम होती जा रही है लेकिन मनुष्य के पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि ज्यों- ज्यों जनसंख्या में वृद्धि होती है संसाधन की आवश्यकता बढ़ती जाती है और संसाधनों की आवश्यकता बढ़ती जाती है और संसाधनों के दोहन के क्रम में वह पर्यावरण को हानि पहुंचाता है। इस प्रकार पर्यावरण न केवल दूषित होता है बल्कि उसका ह्रास  भी तेजी से होता है।। कुछ समय तक पर्यावरण मानव के इस प्रभाव को जलता है तथा साम्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास करता है किंतु जब मानवीय क्रियाकलाप पर्यावरण के वाहन सीमा को पार कर जाता है तो पर्यावरण का ह्रास तेजी से होने लगता है और मानव जीवन के लिए अनेक समस्याएं उत्पन्न कर देता है।
                                       जैव मंडल के सभी घटक पर्यावरण के अंग हैं और इन सभी घटकों के बीच एक संतुलन की अवस्था होती है। यह सभी घटक स्वयं भी प्रभावित होते हैं और एक दूसरे को भी प्रभावित करते हैं। यदि किसी कारणवश पर्यावरण में एक नए घटक का समावेश होता है या कोई घटक पर्यावरण से बाहर हो जाता है तो पर्यावरण संतुलन प्रभावित होता है तथा विभिन्न प्रकार के समायोजन द्वारा अपने आप को संतुलित करने का प्रयास करता है। चुकी मानव पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली अंग है अतः पर्यावरण के विभिन्न घटकों के बीच अंतर संबंधों में परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पर्यावरण पर मानव का प्रभाव सर्वाधिक है और आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर वह प्राकृतिक संतुलन को प्रभावित करता है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण मानव दिन प्रतिदिन आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर व पर्यावरण को तेजी से प्रभावित करता जा रहा है जो पर्यावरण के घटकों को अनियंत्रित करने में सहायक साबित हुआ है।
                             जब कभी पर्यावरण पर मानव के प्रभाव की बात होती है तो प्राय:  उसका अर्थ नकारात्मक या विनाशकारी रूप में लिया जाता है किंतु मानवीय हस्तक्षेप नकारात्मक या सकारात्मक ही होता है कहना बहुत ही कठिन है, किंतु अधिकतर विद्वानों का मत है कि पर्यावरण में किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ ठीक नहीं होता, उसे ज्यों का त्यों छोड़ देना चाहिए। परंतु आज के समय में पर्यावरण को अछूता छोड़ना मनुष्य के वश में नहीं है, जिसे पर्यावरण के लिए हानिकारक माना जाता है। भले ही वह छोटी अवधि के लिए क्यों ना हो ऐसी स्थिति में यही कहा जा सकता है कि मानव पर्यावरण के साथ कम से कम छेड़छाड़ करें तथा पर्यावरण के संसाधनों का दोहन उसी सीमा तक करें जिसकी भरपाई प्राकृतिक रूप से पुनः हो सके।
              

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