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भारत में जनसंख्या वृद्धि की अवस्थाओं की विवेचना करें।

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए पार्ट थर्ड भूगोल ऑनर्स के महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न:-  भारत में जनसंख्या वृद्धि की अवस्थाओं की विवेचना करें।
उत्तर:- भारत एक विशाल देश है जहां की जनसंख्या एक अरब की सीमा मई 2000 को ही पार कर चुका है और इस प्रकार जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। भारत की कुल जनसंख्या विश्व की जनसंख्या कि लगभग 16.7% है जो विश्व के कुल क्षेत्रफल के 2.42% क्षेत्रफल पर निवास करती है। भारत में जनसंख्या का आधार जनगणना है जो पहली बार 1872 में की गई और अब प्रत्येक 10 वर्ष पर जनगणना होती है ।जनगणना रिपोर्ट के आधार पर भारत की जनसंख्या वृद्धि कई अवस्था में हुई है जो निम्न है:- 
I. 1901 और 1921 के बीच भारत की जनसंख्या में धीमी गति से वृद्धि हुई और इन वर्षों के अंतराल में एक करोड़ 29 लाख की वृद्धि हुई जो बहुत कम मानी जा सकती है। वहीं 1911 से 1921 के बीच जनसंख्या वृद्धि में गिरावट आई । इस अवधि में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों ऊंची रही। खासकर 1911 और 1921 में जन्म दर मृत्यु दर से भी कम रिकॉर्ड की गई इनके पीछे मुख्य कारण देश में पड़ने वाला भीषण आकाल तथा हैजा ,चेचक जैसी महामारी थी। इस अवस्था को जनसंख्या वृद्धि की जनांकिकी संक्रमण की प्रथम अवस्था या स्थैतिक अवस्था कहते हैं।
II. 1921 से 1951 के बीच देश की जनसंख्या एक स्थिर दर से बढ़ती रही, जिसका मूल कारण उच्च जन्म दर तथा निम्न मृत्यु दर रहा। उच्च जन्म दर तथा निम्न मृत्यु दर का मुख्य कारण कृषि उत्पादकता में वृद्धि तथा परिवहन साधनों का विकास था। नई- नई दवाओं की खोज हुई जिस कारण आकाल एवं महामारियों पर नियंत्रण हुआ और मृत्यु दर में गिरावट आई । यह काल जनांकिकी संक्रमण की दूसरी अवस्था थी जिसे प्रारंभिक प्रसार अवस्था कहा जाता है।
III. 1951 से 1981 के बीच जनसंख्या में अत्याधिक तेजी से वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण मृत्यु दर में निरंतर कमी तथा जन्म दर में लगभग स्थिरता की स्थिति का बने रहना था।  मृत्यु दर में कमी तथा जन्म दर में लगभग स्थिरता की स्थिति का मुख्य कारण पंचवर्षीय योजना का परिणाम था जिस कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई , रोजगार के अवसर बढ़े तथा लोगों का जीवन स्तर ऊंचा हुआ। जन-वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाया गया , चिकित्सा प्रणाली में सुधार हुआ, लोगों में साक्षरता तथा जागरूकता बढ़ी । 1961 और 1971 की अवधि को जनसंख्या विस्फोटक अवस्था का गया। जन्म-दर में मामूली गिरावट और मृत्यु-दर में भारी गिरावट के कारण इस अवस्था को जनांकिकी संक्रमण की तीसरी अवस्था अथवा विलंब प्रसार की अवस्था का जाता है।
IV. 1981 से 2001 के बीच देश की जनसंख्या में वृद्धि तो हुई लेकिन वृद्धि दर में गिरावट जारी रहा । इसका मुख्य कारण लोगों में छोटे परिवार की धारणा का विकसित होना था। फलत: 1991 तथा 2001 में वृद्धि दर क्रमश: 23.6% तथा 21.34% रहा। 2001 की जनगणना के आधार पर कहा जा सकता है कि अनुमानत:  2021 तक भारत में मृत्यु दर निम्न अवस्था में स्थिर हो जाएगी तथा जन्म दर में भी पर्याप्त कमी आ जाएगी ,  क्योंकि वह जल्द ही जन्म दर पर नियंत्रण प्राप्त कर लेगा। यह जनांकिकी संक्रमण की चौथी अर्थात निम्न स्थिरता की अवस्था है जिससे भारत गुजर रहा है।

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