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भूगोल के विकास में रेटजेल के योगदान का वर्णन कीजिए।

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के भूगोल ऑनर्स पार्ट थर्ड के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न।

प्रश्न:- भूगोल के विकास में रेटजेल के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:-  रेटजेल ने भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने भूगोल के विकास के लिए हमेशा नए विचारधाराओं का सृजन किया है। रेटजेल के भूगोल संबंधी विचारधाराओं के आधार पर ही भूगोल की प्रारंभिक परिभाषा में बदलाव आया है तथा उसके अनुसार-“ भूगोल मानव तथा वातावरण के संबंधों का अध्ययन है।“ उन्होंने तत्कालीन वैज्ञानिक डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत तथा जीवो की उत्पत्ति के सिद्धांत से प्रभावित होकर वातावरण के संबंधों का गहराई से अध्ययन किया एवं इन संबंधों की विस्तृत व्याख्या अपनी पुस्तक एंथ्रोपॉजियोग्राफी(Anthropogeography) में किया। इस पुस्तक में मानव एवं वातावरण के संबंध के अलावे जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व तथा अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों की चर्चा की गई है। इस पुस्तक के लेखन के साथ ही रेटजेल को मानव भूगोल का जन्मदाता कहा जाता है। उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से भूगोल में मानव की महत्वपूर्ण भूमिका एवं स्थिति को प्रतिष्ठित कर अनिश्चितता की स्थिति एवं अनिश्चित युग को समाप्त कर भूतल के समस्त तथ्यों एवं मानव के संबंधों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया।
       रेटजेल ने  निम्न संकल्पना के द्वारा भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है:-
1. प्राकृतिक वातावरण(Physical Environment)
रेटजेल ने कहा है कि पृथ्वी की प्राकृतिक वातावरण ही सर्वोपरि है। प्राकृतिक वातावरण के अंतर्गत भू- उच्चावच, जलवायु, वनस्पति जीव- जंतु , मिट्टी, खनिज ,जल- संसाधन ,वायुमंडल आदि महत्वपूर्ण है। यह सभी तत्व मानव जीवन को प्रभावित करते हैं एवं नियंत्रित भी करते हैं इसलिए भूगोल में इसका अध्ययन आवश्यक है।
2. सांस्कृतिक वातावरण (Cultural Environment)
 उन्होंने कहा है कि प्राकृतिक वातावरण के बीच विभिन्न सांस्कृतिक वातावरण उत्पन्न हुआ है तथा प्राकृतिक वातावरण में विभिन्नता के कारण ही विभिन्न विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले लोगों के रहन-सहन, खान-पान, शारीरिक बनावट , सामाजिक व्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था में भिन्नता पाई जाती है।
3. नियतिवाद (Determinism)
उन्होंने नियतिवाद को स्वीकार करते हुए कहा है कि मानव के सभी क्रियाकलाप प्रकृति के नियमों से बंधा हुआ है। प्रकृति के प्रतिकूल कार्य करने पर उसका विनाश हो जाता है जैसे ध्रुवीय प्रदेशों में रात्रि के समय निर्वस्त्र रहने वाला व्यक्ति मर जाएगा।
4. जीवित भूमि (Living space)
उन्होंने बताया कि विश्व के सभी जीव अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते हैं । इस संघर्ष में शक्तिशाली जीव कमजोर एवं छोटे जीव को मार देता है। इसी प्रकार मानव समाज में कुछ शक्तिशाली जातियां एवम् राष्ट्र है जो कमजोर जातियों एवं राष्ट्रों को नष्ट कर उसकी भूमि एवं संसाधन हड़प लेते हैं। इसका कारण यह है कि शक्तिशाली समुदाय जीवित है और प्रत्येक जीवित वस्तु को वृद्धि  करने एवं निश्चित होने का अधिकार है। इसे ही रेटजेल ने जीवित भूमि(living space) कहा है।
5. भूगोल में द्वैतवाद(Dualism of geography)
उन्होंने भूगोल की दो प्रमुख शाखाओं के चर्चा की है- भौतिक भूगोल एवम् मानव भूगोल। भौतिक भूगोल में प्रकृति संबंधी प्राकृतिक वातावरण एवं पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है तथा मानव भूगोल के अंतर्गत मानव विकास जनसंख्या का वितरण तथा मानवीय क्रियाकलाप एवं प्राकृतिक वातावरण को पारस्परिक संबंधों एवं प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। उन्होंने बताया कि मनुष्य प्रकृति के नियमों के अधीन अपने कार्यों का संपादन करता है। वह अपने आप कुछ भी नहीं कर सकता है। मानव एवं प्राकृतिक वातावरण का अध्ययन अलग-अलग एवं उनके पारस्परिक संबंधों का अध्ययन साथ-साथ भी किया जाता है।
6. प्रादेशिक भूगोल(Regional Geography)
 रेटजेल ने अपने भौगोलिक अध्ययन के अंतर्गत भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल पर विशेष बल दिया है तथा उनका मानना था कि भौगोलिक भूगोल के अध्ययन से ही प्रादेशिक विभिन्नताओं का ज्ञान होता है। वातावरणीय विभिन्नताओं से ही प्रादेशिक विभिन्नताएं उत्पन्न होती हैं, इसलिए प्रादेशिक अध्ययन विशेष महत्व रखता है।
7. राजनीतिक भूगोल(political geography)
मानव भूगोल के बाद रेटजेल ने राजनीतिक भूगोल लिखा।  भूगोल की सभी शाखाओं में राजनीतिक भूगोल सबसे पिछड़ा था क्योंकि राजनीति के विद्वान भौगोलिक प्रभाव को अपनी रचनाओं में कहीं भी स्थान नहीं देते थे। जबकि राजनीतिक दशाओं के पीछे भी भौगोलिक परिवेश एवं वातावरण का महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए राज्यों का तार्किक अध्ययन आवश्यक है। रेटजेल ने अपनी पुस्तक “राजनीतिक भूगोल” में राज्य के लिए निम्न संकल्पनाए आवश्यक मानी है-
 A. राज्य धरातल पर निश्चित संगठन युक्त विस्तृत क्षेत्रीय भाग है जिसकी अपनी प्राकृतिक सीमाएं होती हैं।
B. वह राज्य के जैविक सिद्धांत(organic theory of state) में विश्वास करते थे तथा इस सिद्धांत के अनुसार राज्य एक जीवित संस्था होती है तथा विभिन्न राज्य अपने भौतिक संसाधनों के अनुसार अपने इतिहास एवं मानव जातिशास्त्र का विकास करते हैं। इसलिए आवश्यकता अनुसार राज्य अपने पड़ोसी देशों की ओर अपना विस्तार कर सकते हैं जब तक उसे प्रभावी विरोध का सामना न करना पड़े।
            इस प्रकार रेटजेल ने अपने पूरे जीवन काल में भूगोल के विभिन्न क्षेत्रों को अपने विचारों से संतृप्त किया है। वह मानव भूगोल, राजनीतिक भूगोल तथा संस्कृति और मानव स्थानांतरण के संकल्पनाओं को विकसित करने के लिए जाने जाते हैं।

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